मंगल दोष का मुख्य उत्पन्न स्थान सप्तम भाव (विवाह भाव) में होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका प्रभाव कम हो सकता है या शांत हो सकता है। मंगल दोष को लगातार बना रहने पर व्यक्ति के विवाह और दांपत्य जीवन में कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
यहां कुछ स्थितियां हैं जिनमें मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है:
मंगल का स्वभाविक बल:अगर किसी के जन्मकुंडली में मंगल को अपनी राशि (मेष, वृष्टि, मकर) या केन्द्र भावों में उच्च स्थिति मिलती है, तो इसे स्वभाविक बल मिलता है और मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
कुंडली में शुक्र दोष:अगर किसी की कुंडली में शुक्र दोष हो, तो मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है। शुक्र की शुभ स्थिति में होना और उसकी शुभ दशाएं भी मंगल दोष को प्रभावित कर सकती हैं।
मंगल की नीच स्थिति:कुछ ज्योतिषीय परंपराएं मानती हैं कि अगर मंगल की कुंडली में नीच स्थिति मिलती है, तो भी मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
अनुकूल ग्रहों की दशा:कुछ विशेष ग्रहों की दशा में मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है, और अनुकूल ग्रहों की महादशा में व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिल सकती है।
कुंडली में योग और दोषों का संतुलन:व्यक्ति की कुंडली में योग और दोषों का संतुलन भी महत्वपूर्ण है। यदि कुंडली में शुभ योग हो जैसे कि गजकेसरी योग, राजयोग, तो इसका प्रभाव मंगल दोष को संतुलित कर सकता है।
यह जरूरी है कि व्यक्ति को अपनी कुंडली को कुंडली चक्र प्रोफेशन २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग का कर सकता है। ताकि उन्हें सही और व्यक्तिगत सलाह मिल सके।
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